google.com, pub-2645916089428188, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Aapkedwar Delhi News

1एप्रिल 2025, मंगळवारचा पंचांग

* सूर्योदय:-* 06:12 दुपारी  

* सूर्यास्त:-* 18:37 दुपारी 

* श्रीविक्रमासावत -2082* शेक -1947 

*श्री वीरातिवाना संवत- 2551* 

*सूर्य*: - सूर्य उत्तरायण, उत्तरागोल 

* 🌧 रुतू*: वसंत season तू 

* सूर्योदय, नक्षत्र, योग, करणचा वेळ* - 

आज, चैत्र महिना शुक्ला पक्का * चतुर्थी तिथी * 26:32 दुपारी पुन्हा चालू होईल.

💫 * नक्षत्र आज * भारानी नक्षत्र ११:०6 वाजता पुन्हा कृतिका नक्षत्र चालवणार आहेत.

    * योग*:- आजचा* विश्कुंबा* आहे. 

 * करण*:-आजचा आहे* व्हॅनिझ*.

 💫 * पंचक *:- पंचक गंडमूल नाही.

*🔥 अग्निवा*: आज, भद्रा पाटाळमध्ये आहेत, 16: पंतप्रधान.

☄ * दिशा *: आज उत्तर दिशेने.

* राहुकला*: आज 15:31 ते 17:05 या वेळेत अपशब्द आहे.

* शुभ मुहुर्ता*:- आज सकाळी 12:00 ते दुपारी 12:50 पर्यंत शुभ आहे.

दर बुधवारी अशुभ आहे.

*पर्व फेस्टिव्हल*:- श्री गणेश दमणक चतुर्थी

* मुहर्ट*: - काहीही नाही 

Sun * सूर्योदय वेळ ग्रह राशिचक्र कल्पना *:-

 सूर्य-इगॅम, चंद्र-जाळी, मार्स-मिथुन, बुध-खिडकी, गुरु-विष्ण, शुक्र, शुक्र, शनी, राहू-मीन, केतू-कन्या, प्लूटो-मकर, नेपच्यून

आज आनंदात आहे.

 *🌞 चोगडिया, दिवस*

रोग 06:12 - 07:46 अनियंत्रित

Udveg 07:46 - 09:19 अनियंत्रित

चल 09:19 - 10:52 शुभ

फायदे 10:52 - 12:25 शुभ

अमृत ​​12:25 - 13:58 शुभ

Kaal 13:58 - 15:31 अनियंत्रित

चांगले 15:31 - 17:05 शुभ

रोग 17:05 - 18:38 अशुभ

*🌘 चोगडिया, रात्री*

Kaal 18:38 - 20:05 अनियंत्रित

फायदे 20:05 - 21:31 शुभ

Udveg 21:31 - 22:58 अनियंत्रित

चांगले 22:58 - 24: 25* चांगले

 अधिक माहितीसाठी संपर्क साधा - ज्योतिषाचार्य डॉ. हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव पुरस्कार प्राप्त झाला)

डझनभर जाटिल प्रकरणांवरील भविष्यवाणी सत्य असल्याचे सिद्ध झाले आहे.

मो. 9425187186

हिंदू नव वर्ष श्री विक्रम संवत् 2082 वर्ष के राजा एवं मंत्री सूर्य होंगे

 जल स्तंभ  85.37 प्रतिशत वर्षा अच्छी होगी

हिंदू नव वर्ष श्री विक्रम संवत् की शुरुवात चैत्र कृष्ण अमावस्या  तिथि की समाप्ति 29 मार्च दिन में 04:26 बजे पर होगी इस के साथ ही चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि आरंभ होगी इसी समय से चंद्रमान से हिंदू नव वर्ष श्री विक्रम संवत् 2081 समाप्त होकर श्री श्री विक्रम संवत् 2082 प्रारंभ हो जायेगा।

नव रात्रि घट स्थापना 30 मार्च  रविवार को प्रातः सूर्योदय  06:11 बजे से 10:18 बजे तक फिर अभिजीत मुहूर्त में 11:57 12:47 के बीच श्रेष्ठ है। इस दिन सभी को प्रातः जल्दी उठकर स्नान ध्यान करके साफ नए वस्त्र पहन कर अपने अपने घरों पर ध्वज फहराना चाहिए और वर्ष भर उन्नति के लिए ईश्वर से पूजन ,प्रार्थना,अपने अपने धर्मानुसार अवश्य करना चाहिए ।

वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने जानकारी बताया 

इस बार श्री विक्रम संवत्सर 2082 का नाम सिद्धार्थी है स्वामी सूर्य है जनता में ज्ञान वृद्धि करता है।

इस वर्ष 04 स्थान सौम्य ग्रहों को और 06 स्थान पाप और  उग्र ग्रहों को प्राप्त हुए हैं।इस वर्ष का जल स्तंभ 85.37% होने से वर्षा की अधिकता रहेगी अनेक स्थानों पर बाढ़ का खतरा रहेगा जिससे फसलों को हानि होगी।

तृण स्तंभ 100% होने से पशु चारा भरपूर होगा। वायु  स्तंभ 10.75% होने से वातावरण में वायु की गति कम रहेगी इससे उमस रहेगी मच्छर,कीड़े मकोड़े का प्रकोप बढ़ेगा। अन्न स्तंभ 21.69% है जो कि कम है अनाज उत्पादन की कमी दर्शाता है अधिक वर्षा से अनाज की फसल नष्ट होने से उनके मूल्य वृद्धि रहेगी । गेहूं,चना, जौ,चावल के मूल्य ऊंचे रहेंगे।

*वर्ष के दशाधिकारियों के फल* :--  जैन के अनुसार 1. वर्ष का राजा सूर्य होने से अनेक स्थानों पर वर्षा की कमी, मनुष्य व पशुओं में रोग ,अग्नि व चोरी की घटनाएं बढ़ेगी किसी वरिष्ठ  शासक या नेता का निधन।

2. मंत्री सूर्य का फल - शासकों में आपसी विरोध आरोप प्रत्यारोप बढ़ेगा रोग,चोरी भय गुड़ और रसादि पदार्थों के मूल्य वृद्धि रहेगी।

3. सस्येश बुध  का फल - ग्रीष्म ऋतु की फसलें गेहूं,चावल,गन्ना इत्यादि भरपूर  उपज होती हैं वर्षा अधिक होती है सुख साधनों की वृद्धि विद्वान धर्म पारायण प्रवृत्ति रहे।

4. धान्येश चंद्रमा का फल - सर्दियों में होने वाली फसलें मूंग, मोठ , बाजरा,सरसों आदि  अच्छी हो दूध पर्याप्त मात्रा में होता है जनसंख्या में वृद्धि हो।

5. मेघेश सूर्य का फल - वर्षा कम होगी महंगाई चरम पर होगी राजनीतिज्ञों में आपसी विरोध चरम पर चोरी ठगी, भ्रष्टाचार बढ़ेगी गेहूं,चना, जौ चावल,गन्ना की फसलों अधिक होगी।

6. रसेश शुक्र का फल - शुभ,मांगलिक, धार्मिक आयोजन अधिक होते है कुछ स्थानों पर वर्षा की कमी।गुड़,खांड,रसकस ज्यादा हो शासक  वर्ग सुचारू रूप से चलता है।

7.  नीरसेश बुध का फल -  रोज मर्रे की वस्तुएं  रेडीमेड कपड़े होजरी का सामान,शंख,चंदन,सोना,चांदी, तांबा आदि धातुएं,रत्न महंगे होते हैं। 

8. फलेश शनि का फल पेड़ो में फलों की कमी। शीत प्रकोप, हिमपात से हानि रोग,चोरी से जनता की परेशानियां बढ़ेगी।

9. धनेश  मंगल का फल - गेहूं, चना,  धान्य आदि की फसलें असमय वर्षा से खराब होती हैं।व्यापार में उतर चढ़ाव विशेष प्रशासन से जनता दुःखी हो।

10. दुर्गेश शनि का फल - पश्चिमी देश प्रांतों में हिंसा अशांति से जनता त्रस्त रहकर अन्य स्थानों पर पलायन करती हैं।नागरिकों को शत्रु भय । टिड्डी ,चूहों से फसलों की हानि होती हैं।

नाचते महाराज और किराये पर उठते किले

 


ये खबर आपके लिए रोचक भी हो सकती है और तकलीफदेह भी ,लेकिन है ये आपसे बाबस्ता। आपके शहर में यदि कोई छोटा-बड़ा किला है तो आप खुशनसीब हैं ,क्योंकि आपके पास कोई न कोई छोटा-बड़ा इतिहास है। विरासत है। लेकिन यदि आपकी विरासत से जुड़े किलेदार या खुद को महाराज कहने वाले लोग शादियों में ठुमके लगते दिखाई दे तो समझ जाइये कि  देश में लोकशाही आ गयी है ,और यदि आपके शहर में कोई किला किराये पर उठाया जाने लगे तो समझ लीजिये कि आपके सोबे का दीवाला पिटने वाला है या पिट चुका है। 

भारत किलों का देश है। किले का लघु संस्करण गढ़ी होतीं है।  भारत में कुल कितने किले हैं ,मै नहीं जानता। लेकिन मुझे पता है कि  आज के जमाने में भले  ही आप ' ट्रम्प टावर ' बना लें लेकिन कोई नया किला नहीं बना सकते ,क्योंकि किले बनाने की न तकनीक रही और न किले बनाने वाले। अब जमाना बदल गया है ,जो देश अपने किलों की देखरेख विरासत समझकर नहीं कर पाते वे या तो किलों को अनाथ छोड़ देते हैं या फिर उन्हें किराये पर उठा देते हैं। भारत में किलों का रखरखाव सफेद हाथी पालने जैसा है लेकिन बहुत से पुराने राजे-महाराजे ऐसे  हैं जो अपने किलों को बचाये हुए हैं भले ही वे अब न राजा है  न महाराजा और न किलेदार। 

ज्यादातर किले भारतीय पुरातत्व  सर्वेक्षण की सम्पत्ति है।  बाकी किले राज्यों के पुरातत्व या संस्कृति विभाग की सम्पत्ति है।  ज्यादातर किले अपनी दुर्दशा पर रो रहे हैं लेकिन जो नहीं रो रहे और आज भी समय के साथ संघर्ष कर रहे हैं उन्हें हमारी सरकारों ने अब किराये पर उठाना शुरू कर दिया है। सबसे पहले देश की राजधानी दिल्ली का लाल किला डालमियां को किराये पर दिया गया और अब मध्यप्रदेश का सबसे दुर्गम और अजेय माने जाना वाला ग्वालियर का किला इंडिगो एयरलाइंस  को किराये पर देने की तैयारी चल रही है। हालाँकि अभी ग्वालियर किले का एक हिस्सा ही किराये  पर दिया जा रहा है। 

दुनिया में जिन देशों के पास भारत  जैसे विशाल किले नहीं हैं वे अपने छोटे-छोटे किलों की देखरेख भी ऐसे करते हैं जैसे कोई अपने परिवार के बच्चे या बुजुर्ग की करता है।  मैंने दुनिया के अनेक देशों में किले देखे हैं।  यूएई में एक किला है फुजौरा का किला । आप उसे देख कर हंस पड़ेंगे क्योंकि वो किला हमारे यहां की किसी भी गढ़ी से भीछोटा है लेकिन यूएई की सरकार और जनता उस किले पर गर्व करती है।  अमेरिका में छोटे-छोटे समुद्री किले हैं। जो गुजरे जमाने में सुरक्षा की दृष्टि से बनाये गए थे ,लेकिन उन्हें ऐसे बचाकर और संवारकर रखा गया है जैसे वे कल ही बने हों।  अमेरिका वाले अपने किलों से हर दिन डालर छापते हैं। लेकिन हमारे यहां अपवादों को छोड़ किले दुर्दशा के शिकार हो रहे हैं और लोगों ने किला परिसरों को या तो झुग्गियों में बदल दिया है या उन्हें सार्वजनिक शौचालय में तब्दील कर दिया है।  

बहरहाल बात ग्वालियर किले की हो रही है ।  ग्वालियर का किला कम से कम 700  साल पुराना और ज्यादा से ज्यादा हजार साल पुराना तो है ही। इस किले को किसी सिंधिया ने नहीं बनवाया ।  ये किला सूरज सेन ने बनवाया।  सोलहवीं सदी में तोमरों ने किले पर निर्माण कराये ,बाद में किला अंग्रेजों की फ़ौज के काम आया और अंत में सिंधिया घराने के कब्जे में रहा ।  आजादी के बाद किला हालाँकि भारत सरकार की सम्पति हो गया किन्तु किले के एक बड़े हिस्से पर सिंधिया परिवार का कब्जा कल भी था और आज भी है बल्कि अब कुछ और हिस्सा राज्य सरकार ने सिंधिया को सिंधिया स्कूल के लिए दे दिया है। 

ग्वालियर के किले पार जो मानमंदिर है वो दुनिया के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है ।  जो दाताबंद छोड़ गुरुद्वारा है वो भी हालाँकि आजादी के बाहर बाद बना किन्तु दुनिया भर के सिखों  की आस्था  का केंद्र है। किले पर असंख्य पर्यटक  आ-जा सकते हैं लेकिन सिंधिया परिवार ने यहां आजतक रोप -वे नहीं बनने दिया। किले पर पैदल चढ़ना कष्टकारक है और सभी के पास चार पहिया वाहन होते नहीं हैं ग्वालियर का नगर  निगम तीस साल से ग्वालियर दुर्ग पर रोप -वे बनाना चाहता है लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वे इजाजत नहीं देता क्योंकि ग्वालियर के स्वयंभू महाराज  नहीं चाहते। अगर चाहते होत्ते तो जैसे ग्वालियर किले का एक हिस्सा इंडिगो एयरलाइंस को किराये पर देने का एमओयू हो रहा है वैसे ही रोप -वे भी बन जाता। 

ग्वालियर किला  किराये पर देने की खबर से ग्वालियर वाले हतप्रभ है।  ग्वालियर वालों को उतनी हैरत ग्वालियर के स्वयम्भू महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह के बेटे की बारात में नृत्य करते देखकर नहीं हुई जितनी की ग्वालियर किले के एक हिस्से को किराये पर देने की खबर से हुई है। लेकिन मुश्किल ये है कि  ग्वालियर में कोई भी दल इस फैसले का विरोध खुलकर करने की स्थिति में नहीं है। दरअसल जैसे दिल्ली का लाल किला दिल्ली वाले नहीं बचा पाए वैसे ही ग्वालियर  का किला ग्वालियर वाले निजी हाथों में जाने से नहीं बचा पा रहे हैं। बचा भी नहीं सकते ,क्योंकि ग्वालियर वालों के स्वभाव में अब हुजरा  -मुजरा गहरे तक बैठ गया है। लेकिन स्वाभिमान की बात करने वाली और औरंगजेब को ओसामा बिन   लादेन मानने वाली सरकारें अपने किले हंसी-ख़ुशी किराये पर उठा रहीं हैं। तीसरा नंबर किस किले का होगा ,कहा नहीं जा सकता। इसलिए यदि आपके शहर में कोई किला है तो उसे अभी जीभर कर देख लीजिये  ,बाद में पता नहीं आप वहां जा भी पाएं या नहीं ?

हमारे ग्वालियर शहर का किला मुगलों का भी सपना रहा और अंग्रेजों का भी।  गजनी जैसे योद्धा यहां चार-दिन तक डेरा डेल रहे ,यहाँ शाही कैदखाना भी बनाया गया। यहाँ का इतिहास कभी फुरसत में बैठकर पढ़िए ,तब समझ आएगा कि  किला आखिर होता क्या है। दुनिया का कोई भी किला रातों -रात नहीं बनता  उसके साथ बनता है एक इतिहास जो कम से कम किराये पर नहीं दिया जाना चाहिए। लेकिन जिन शहरों को अपने विरसे पर नाज नहीं होता उनकी विरासत शर्मसार होती ही है ।

@ राकेश अचल

गंगा के घाटन में ,काफिर बसंत है

 

कल भी बसंत था,आज भी बसंत है।  बसंत इसलिए है क्योंकि इसका कभी अंत नहीं होता।  ये बारह साल में नहीं बल्कि हर साल आता है और हर जगह आता है।  ये मजहब नहीं देखता । बसंत धर्म निरपेक्ष है।  हिन्दुओं के यहां भी दस्तक देता है और मुसलमानों के यहाँ भी ।  सिखों के यहां भी और ईसाइयों के यहां भी। बसंत का इन्तजार सभी को होता है। आइये पहले अपने-अपने ठिकाने पर बसंत का स्वागत करें, इस्तकबाल करें ,खैर-मकदम करें। 

मुझे अबकी बसंत पिछले बसंत से एकदम अलग लग रहा है। अलग है , इसलिए अलग लग रहा है।  इस बार का बसंत प्रयागराज में बहने वाली गंगा के तटों पर भी अलग है और अल्लाहबाद की मस्जिदों में भी अलग है।  जो लोग पुण्य सलिला गंगा में डुबकी लगाने प्रयागराज आ रहे हैं उन्हें यदि भगदड़ के दौरान कहीं जगह नहीं मिली तो उन्हें  अल्लाहबाद की मस्जिदों ने अपना मेहमान बना लिया। उनका हर तरह से ख्याल रखा। सनातनियों की सेवा करने के लिए किसी योगी सरकार ने इन मस्जिदों को नहीं खुलवाया ।  ये अपने -आप खुलीं।  इंसानियत के नाते खुली।  योगी सरकार के लिए तो ये मस्जिदें विधर्मियों की इबादतगाहें हैं। यहां सनातनी झाँक भी लें तो अपवित्र हो जाएँ। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।  मस्जिदों में शरण लेने वाले किसी भी सनातनी का धर्म भ्रष्ट नहीं हुआ। 

अल्लामा इकबाल इसीलिए कहकर गए कि-' मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना।'  आपस में बैर करना तो सियासत सिखाती है ।  मजहब का नाम लेकर। श्रीमद भागवत में भी विधर्मियों के घरों पर बुलडोजर चलाये जाने का कोई निर्देश नहीं है ,लेकिन ये योगी कि भागवत में है।   डॉ मोहन भागवत की भागवत में है। उनके लिए काफिर तो काफिर है।  उसे बर्दाश्त किया ही नहीं जा सकत।  मोहन की भागवत हो या योगी की या धीरेन्द्र  शास्त्री की चौपटिया , सभी में ये मुल्क केवल और केवल सनातनियों का मुल्क है ।  हिन्दुओं का मुल्क है ।  हिन्दुओं की ही बापौती है इस मुल्क पर।  लेकिन आपाद स्थितियां ये प्रमाणित करती है कि ये मुल्क सभी का है।  जितना हिन्दुओं का ,उतना ही मुसलमानों का,उतना ही सिखों का,उतना ही ईसाइयों का।

मजहब यदि केवल बैर करना सिखाता होता तो मौनी  अमवस्या पर प्रयागराज में हुई भगदड़ के बाद इलाहबाद में फंसे लोगों के लिए मस्जिदों के दरवाजे नहीं खुलते ।  मस्जिदों के दरवाजे बसंत पंचमी पर भी तीसरे शाही स्नान के दिन भी खुले है।  बसंत पंचमी के मौके पर प्रयागराज महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को शहर में ठहराने के लिए मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मस्जिदों और मदरसों के दरवाजे एक बार फिर खोल दिए हैं. श्रद्धालुओं के लिए इबादतग़ाहों में खास इंतजाम किए गए हैं. उनके ठहरने और खाने-पीने की व्यवस्थाएं की गई हैं. शहरी इलाके की तकरीबन पचास मस्जिदों - दरगाहों और मदरसों में इंतजाम किए गए हैं।।  मुख्यमंत्री योगी में या किसी अखाड़े में दम हो तो हिन्दू श्रृद्धालुओं से कहे कि वे मस्जिदों में न जाए।  मुसलमानों का आतिथ्य स्वीकार न करें। लेकिन ये मुमकिन नहीं है। 

करोड़ों लोग संगम और गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित कर रहे है।  पाप धो रहे है।  मोक्ष का दरवाजा खटखटा रहे हैं है।  वहीं दूसरी तरफ अल्लाहाबाद के हजारों मुसलमान हैं जो बिना गंगा स्नान किये जन्नत की और बढ़ रहे हैं विधर्मी सनातनियों की सेवा कर। इसके लिए किसी  ने फतवा जारी नहीं किया।  इसके लिए इंसानियत ने  प्रेरणा दी।  ऐसा प्रयागराज में ही नहीं हुआ । ऐसा पहली बार भी नहीं हुआ ।  ऐसा हमेशा होता है।  देश कोई आजादी के पहले और बाद के दांगों के समय भी हुआ था।  हिन्दुओं ने मुसलमान  को और मुसलमानों ने हिन्दुओं की रक्षा  की थी।  जो लोग कत्लो-गारद कर रहे थे वे जानवर थे ,इधर के भी और उधर के भी। 

संगम  नोज पर भगदड़ के बाद संत समाज के बीच प्रवचन देने आये उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में यदि जरा भी अक्ल होती तो वे अकलियत के उन लोगों का आभार जरूर व्यक्त करते जिन्होंने ने मस्जिदों के दरवाजे सनातनियों के लिए खोले।  उन्हें पानी पिलाया। उन्हें  चैन की नींद सोने दिया।  कोई माने या न माने की उत्तर प्रदेश की सरकार आपदा के समय यही नहीं बल्कि जरूरत के समय भी विधर्मियों द्वारा किये गए उपकार और सद्भाव का कर्ज कभी भी नहीं उतार पाएंगे।  योगी तो वे योगी हैं जो कावंड यात्रा के दौरान मुसलमानों के ठेलों और ढाबों तक पर पाबंदी लगा देते हैं। उनसे उदारता और सद्भाव की अपेक्षा करना ही बेमानी है।  वे जब सनातन धर्म के शीर्ष माने जाने वाले शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के प्रति उदार नहीं है तो मुसलमानों के प्रति उदार कैसे हो सकते हैं ? वे संगदिल थे ,वे संगदिल हैं और वे संगदिल रहेंगे। लेकिन उनकी संगदिली से बसंत  घबड़ाने वाला नहीं है। वो काफिर ही सही लेकिन प्रयागराज में गंगा के तटों पर भी बिखरा दिखाई देगा और पूरी कायनात में। 

बसंत इसी तरह आता रहता है ।  कहीं स्प्रिंग बनकर ,तो कहीं किसी और रूप में।  बसंत  पर हमारे कवियों ने बहुत लिखा है।  मै उसे दुहरा भी नहीं सकता। लेकिन मुझे याद है कि बसंत कूलन में ,कछारन में तो बगरता ही है लोगों के दिलों में भी बगरता है।  बसंत ही है जो नहीं सिखाता  आपस में बैर करना। इसलिए आइये बसंत मनाएं। आप सभी को बसंत  पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें। बसंत  एक दिन का नहीं है। ये एक मौसम है जो पूरी प्रकृति को रंग-बिरंगा करके ही जाएगा। कायाकल्प करना ही इसका धर्म है। 

@ राकेश अचल

आज 02/02/2025,रविवार का पंचांग

 🌻 *आप का दिन मंगलमय हो* ✍🏻

सूर्योदय :-* 07:10 बजे  

*सूर्यास्त :-* 17:59 बजे 

*श्रीविक्रमसंवत्-2081* शाके-1946 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य उत्तरायण,दक्षिणगोल 

*🌧️ऋतु* : - शिशिर ऋतु 

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज माघ माह शुक्ल पक्ष *चतुर्थी  तिथि*   09:14 बजे तक फिर पंचमी  तिथि चलेगी।

💫 *नक्षत्र आज उत्तराभाद्रपद नक्षत्र* 24:51 बजे तक पश्चात रेवती नक्षत्र 

    *योग* :- आज *शिव* है। 

 *करण*  :-आज *विष्टि* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक   03 फारफरी रात 11:16 तक है।भद्रा 09:14 तक है, गंडमूल नहीं  है।

*🔥अग्निवास*: आज पाताल में है।

☄️ *दिशाशूल* : आज पश्चिम दिशा में।

*🌚राहूकाल* :आज 16:39 से 17:59 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 12:13 बजे से 12:57 बजे तक  शुभ है।

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*पर्व त्यौहार* बसंत पंचमी, श्री सरस्वती जयंती, अबूझ मुहूर्त 

*मुहूर्त* :  अबूझ मुहूर्त है।

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-मकर, चन्द्र-मीन, मंगल-मिथुन, बुध-मकर, गुरु-वृष, शुक्र-मीन, शनि-कुंभ, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-वृष में

*🌞चोघडिया, दिन*

उद्वेग 07:10 - 08:31 अशुभ

चर 08:31 - 09:53 शुभ

लाभ 09:53 - 11:14 शुभ

अमृत 11:14 - 12:35 शुभ

काल 12:35 - 13:56 अशुभ

शुभ 13:56 - 15:18 शुभ

रोग 15:18 - 16:39 अशुभ

उद्वेग 16:39 - 17:59 अशुभ

*🌘चोघडिया, रात*

शुभ 17:59 - 19:39 शुभ

अमृत 19:39 - 21:17 शुभ

चर 21:17 - 22:56 शुभ

रोग 22:56 - 24:35*अशुभ

 अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)

जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।

मो . 9425187186

सांसद खेल स्पर्धा प्रतियोगिता में खिलाड़ियों ने दिखाया अपना हुनर, पुरस्कार वितरण के साथ हुआ समापन

Aapkedwar news –अजय अहिरवार 


 टीकमगढ़। आज टीकमगढ़ के स्थानीय नजर बाग प्रांगण में सांसद खेल स्पर्धा 2025 का जिला स्तरीय प्रतियोगिताओं के साथ पुरस्कार वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। स्वप्निल तिवारी ने बताया कि सांसद खेल स्पर्धा 2025 का आज तीसरा दिवस था जिसमें खो-खो, कबड्डी, दौड़,गोला फेंक व चम्मच दौड़ जैसी विभिन्न खेल प्रतियोगिताएं जिला स्तर पर संपन्न हुई, मुख्य अतिथि के तौर पर केंद्रीय मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार, विवेक चतुर्वेदी, अनुराग वर्मा, राजेंद्र तिवारी, सरोज राजपूत, कलेक्टर अवधेश कुमार शर्मा, एसपी मनोहर सिंह मंडलोई, डीएसपी सीताराम ससत्या आदि रहे। मुख्य अतिथियों द्वारा विजेता टीमों को प्रमाण पत्र व शील्ड सौंपी गई, साथ ही खेल पीटीआई कोचों को ट्रैक सूट गिफ्ट में दिया गया। विजेता टीमों में कबड्डी खेल में पुरुष टीमों में जतारा व महिला टीमों में टीकमगढ़ खेल टीम ने बाजी मारी, 100 मीटर दौड़ में पुरुषों में रोहित रैकवार टीकमगढ़ व महिला खिलाड़ियों वर्षा पाठक ने प्रथम स्थान पाया, गोला फेंक प्रतियोगिता में दिव्यांश रजक ने प्रथम स्थान पाया, तो वहीं चम्मच दौड़ महिला प्रतियोगिता में संध्या सोनी प्रथम स्थान पर रही। सांसद खेल स्पर्धा 2025 कार्यक्रम के संयोजक जितेंद्र जीतू सेन रहे। कार्यक्रम का संचालन आनंद कुशवाहा व जिनेंद्र धुवारा ने किया। केंद्रीय मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार ने खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए कहा कि मेहनत व परिश्रम से आज हमारे युवा खिलाड़ी देश-विदेश में जाकर अपने समाज का, अपने क्षेत्र का नाम रोशन कर रहे हैं, ऐसी खेल प्रतिभाओं को हमें उभारना है जो आगे चलकर अपने समाज और देश का नाम रोशन करेंगी। खिलाड़ियों ने अपने कौशल का शानदार प्रदर्शन करते हुए जीत सुनिश्चित की , उन्हें बहुत-बहुत बधाई दी। आयोजन समिति में रविंद्र श्रीवास्तव, सुमित उपाध्याय, प्रतेंद्र सिंधई ,अभिषेक खरे रानू, रोहित खटीक, अरविंद खटीक, मुन्ना लाल साहू, प्रफुल्ल द्विवेदी, स्वप्निल तिवारी, अनीश खान,संजू यादव, ऋषि यादव, निशांत साहू, देवेंद्र नापित, बंटू शर्मा, पवन संझा, नरेश तिवारी, रोहित वैसाखिया, पंकज प्रजापति, हर प्रसाद कुशवाहा, वीरेंद्र परमार, अमित जैन,जनमेजय तिवारी,सुरेश दोंदरिया, वीरेंद्र चंद्रसोरिया, विवेक बंटी,अजय यादव,पूनम अग्रवाल, रिंकी भदौरा, मीरा खरे,रीना श्रीवास्तव, पुष्पा यादव,संध्या सोनी,विभा श्रीवास्तव आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे।

Featured Post

1एप्रिल 2025, मंगळवारचा पंचांग

* सूर्योदय:-* 06:12 दुपारी   * सूर्यास्त:-* 18:37 दुपारी  * श्रीविक्रमासावत -2082* शेक -1947  *श्री वीरातिवाना संवत- 2551*  *सूर्य*: - सूर्य...