ग्वालियर 11 दिसम्बर। राजवैद्य वेणीमाधव शास्त्री जी के देवलोक गमन पर महावीर भवन में श्रद्घांजलि एवं पुष्पांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर शहर के जनप्रतिनिधि, अभिभाषकगण, चिकित्सकगण, पत्रकारगण सहित शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
श्रद्घांजलि एवं पुष्पांजलि सभा में चेम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष-डॉ. प्रवीण अग्रवाल ने कहा कि आयुर्वेद के क्षेत्र में शास्त्री जी का योगदान अतुलनीय है, जिस का वर्णन करने के लिए दिन नहीं बरस भी कम पड़ जाएँगे।
हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष-डॉ. जयवीर भारद्वाज ने कहा कि शास्त्री जी ने अपनी आयुर्वेद चिकित्सा के माध्यम से समूचे भारत एवं विश्व में ग्वालियर का गौरव बढ़ाने का कार्य किया।
चेम्बर ऑफ कॉमर्स के पूर्व कोषाध्यक्ष-वसंत अग्रवाल ने कहा कि हमारे पूरे परिवार को शास्त्री जी की चिकित्सा के द्वारा संरक्षण प्राप्त था। चिकित्सा के साथ समय-समय पर ढाँढस बँधाते हुए उन्होंने हमारा जीवन मार्ग प्रशस्त किया।
पूर्व प्राचार्य, आयुर्वेद कॉलेज-डॉ. के.एल. मिश्रा ने पुष्पांजलि देते हुए कहा कि चिकित्सा एवं शोध कार्यों में शास्त्री जी का भरपूर सहयोग मुझे हमेशा प्राप्त होता रहा। उन के शिक्षण कार्य द्वारा अनेकों छात्र लाभान्वित हुए।
भारतीय शिक्षा मण्डल के पूर्व उपाध्यक्ष-उमाशंकर पचौरी ने कहा कि शास्त्री जी ने आयुर्वेद के माध्यम से अपने जीवन में उस ऊँचाई को प्राप्त किया जिस की इच्छा प्रत्येक व्यक्ति करता है।शास्त्री जी के जीवन के स्थापित आदर्श हम सब के जीवन को सार्थक बनाने के लिए सदैव प्रेरणास्रोत का कार्य करेंगे।
डॉ. नीतेश शर्मा, प्रांत संयोजक शिक्षा प्रकोष्ठ, भाजपा ने कहा कि कई बड़े चिकित्सा संस्थानों से निराश हो कर लौटने वाले रोगियों को शास्त्री जी के पास आ कर स्वस्थ होते मैंने साक्षात देखा है।
वरिष्ठ पत्रकार-डॉ.राकेश अचल ने शास्त्री जी को याद करते हुए कहा कि ग्वालियर की कई विभूतियों ने देश-विदेश में अपने-अपने क्षेत्र में पहचान स्थापित की। आयुर्वेद का ज़िक्र होने पर ग्वालियर को शास्त्री जी के नाम से पहचाना जाता रहेगा।
पूर्व विधायक-मुन्नालाल गोयल ने कहा कि जीवन पर्यंत अपनी चिकित्सा विद्या से शास्त्री जी ने जो मानव सेवा की उसे हमेशा याद रखा जाएगा।
मध्यप्रदेश शासन के पूर्व कैबिनेट मंत्री-प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा कि चिकित्सा के अलावा मेरा शास्त्री जी से व्यक्तिगत जुड़ाव भी था। विषम परिस्थितियों में शास्त्री जी हमेशा मेरा मनोबल बढ़ाते रहे। शास्त्री जी के जाने से मैंने अपना एक मार्गदर्शक और शुभचिंतक खो दिया है।
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